दिल्ली सल्तनत - तुगलक वंश ( 1320 - 1414 ई. )
तुगलक वंश के शासक -
1. गयासुद्दीन तुगलक ( 1320 - 1325 ई. )
2. मुहम्मद बिन तुगलक ( 1325 - 1351 ई. )
3. फिरोज़शाह तुगलत ( 1351 - 1388 ई. )
:- गयासुद्दीन तुगलक ( 1320 - 1325 ई. )
- तुगलक वंश की स्थापना गयासुद्दीन तुगलक ( गाजी मलिक ) ने की थी। उसकी माँ हिन्दू थी । कुतुबुद्दीन मुबारक खिलजी के समय वह उत्तरी-पश्चमी सीमा प्रांत का गवर्नर था।
- किसानो से पैदावार का 1/5 से 1/3 भाग लगान के रूप मे वसूल किया तथा उसने आदेश दिया की एक इक्ता के राजस्व मे 1/14 से 1/10 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि एक वर्ष मे नही की जा सकती।
- सिचाई हेतु नहर का निर्माण कराने वाला गयासुद्दीन तुगलक सल्तनत काल का पहला शासक था।
- उसकी डाक व्यवस्था श्रेष्ठ थी और शीघ्रता से सूचना प्राप्त करने क लिए उसने 3/4 मील पर डाक लगाने वाले कर्मचारी नियुक्त किये।
- गयासुद्दीन तुगलक एक साम्राज्यवादी शासक था उसके समय मदुरा व वारंगल राज्यो को विजित कर दिल्ली सल्तनत मे शामिल कर लिया।
- गयासुद्दीन ने बंगाल की विजय की तथा दक्षिणी व पूर्वी बंगाल को दिल्ली सल्तनत मे सम्मलित कर लिया।
- गयासुद्दीन तुगलक के संबंध निज़ामुद्दीन औलिया से अच्छे नही थे। अत: गयासुद्दीन ने दिल्ली पहुचने पर दण्ड देने की धमकी दी थी।
- निज़ामुद्दीन औलिया ने कहा दिल्ली अभी दूर है।
- स्वागत समारोह के लिए तुगलकाबाद के पास अफगानपुर नामक स्थान पर लकड़ी निर्मित भवन के गिरने से 1325 मे गयासुद्दीन तुगलक की मृत्यु हो गयी।
:- मुहम्मद बिन तुगलक ( 1325 - 1351 ई. )
- उलुग खां ( जूना खां ) मुहम्मद बिन तुगलक के नाम से 1325 ई. मे सुल्तान बना।
- वह दिल्ली सल्तनत के सुल्तानों मे सर्वाधिक विलक्षण व्यक्तित्व वाला शासक था।
- यह अरबी व फारसी का विद्वान था तथा खगोलशास्त्र, दर्शन, गणित, चिकित्सा विज्ञान एवं तर्कशास्त्र आदि मे पारंगत था।
- दिल्ली सल्तनत के सुल्तानों मे उसने सर्वाधिक विस्तृत साम्राज्य पर शासन किया।
- 1333 ई. मे अफ्रीकी यात्री ( मोरक्को का ) इबनबतुता भारत आया। मूहम्मद बिन तुगलक ने उसे दिल्ली का काजी नियुक्त किया।
- 1342 ई. मे इबनबतुता को उसने अपने राजदूत के रूप मे चीनी शासक तोगन तिमुर के दरबार मे भेजा। इबनबतुता ने 'रेहला' नामक पुस्तक की रचना की।
- दोआव मे कर वृद्धि ( 1325-27 ) इस कारण की गयी क्योंकि यह सल्तनत का सबसे उपजाऊ क्षेत्र था। करो मे वृद्धि की गयी इस समय अकाल पड़ा हुआ था और करो के कठोरता से वसूले जाने के कारण वहाँ विद्रोह हो गया। इस प्रकार यह योजना असफल रही।
- मुहम्मद तुगलक ने कृषि की उन्नति के लिए एक नवीन विभाग दीवान-ए-कोही तथा एक नया मंत्री अमीर-ए-कोही को नियुक्त किया।
- राजधानी परिवर्तन ( 1326 -27 ) मुहम्मद तुगलक की सर्वाधिक विवादास्पद योजना थी। सुल्तान अपनी राजधानी दिल्ली से दौलतबाद ( देवगिरी ) स्थानांतरित कर दिया। दौलतबाद का पूर्ण नाम देवगिरी था।
- सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन ( 1329-30 ) तांबे व पीतल की मुद्रा का मूल्य चाँदी के टंका के बराबर कर दिया। सुल्तान की यह योजना असफल हुई।
- मुहम्मद तुगलक शराब नही पीता था और शराब को रोकने का प्रयास किया।
- मुहम्मद तुगलक जब सिंध के विद्रोह को दबाने जा रहा था तो मार्ग मे ही बीमार पड़ा और 1351 मे थट्टा के निकट उसकी मृत्यु हॉप गई।
:- फिरोज़शाह तुगलक ( 1351 - 1388 ई. ) -
- 1351 ई. मे मुहम्मद तुगलक की मृत्यु के बाद इसका चचेरा भाई फिरोज़शाह तुगलक सिंहासन पर बैठा इसके पिता का नाम रज्जब तथा माता राजपूत राजा रनमल की पुत्री थी।
- फिरोज़शाह तुगलक ने इस्लामी कानूनों के द्वारा मान्य केवल चार करो खराज, जज़िया, जकात और खुम्स ओ लगाया तथा चौबीस प्रचलित करो को समाप्त का दिया।
- उसने उलेमा की स्वीकृति के पश्चात सिंचाई कर ( शुष ) लगाया जो पैदावार का 1/10वां भाग था।
- उसने ब्राह्मणो पर भी जज़िया लगाया इससे पूर्व के सभी सुल्तानों ने ब्राह्मणो को जज़िया से मुक्त रखा था।
- फिरोज़शाह ने 1200 फलो के बाग लगवाए जिससे राज्य की आय बढ़ी। उसने कृषि उत्पादन मे वृद्धि के लिए पर्याप्त सिंचाई की व्यवस्था की तथा नहरों का निर्माण, कुए व तालाब खुदवाए।
- फिरोज ने 300 नहरों का निर्माण करवाया। उसके द्वारा बसाये गए नगरो मे फतेहाबाद, हिसार, फिरोजपुर, जौनपुर ( जौना खां की स्मृति मे ) फीरोजाबाद ( आधुनिक फिरोज़शाह कोटला ) प्रमुख है।
- उसने खिजाबाद तथा मेरठ से अशोक के दो स्तम्भो को दिल्ली मंगाया।
- फिरोज ने निर्माण कार्यो के लिए एक निर्माण विभाग की स्थापना की। फिरोज ने बेकार व्यक्तियों के लिए काम देने के लिए रोजगार दफ्तर की स्थापना की।
- एक विभाग दीवाने खैरात स्थापित किया जो मुसलमान, अनाथ, स्त्रियो एवं विधवाओ को आर्थिक सहायता देता था तथा निर्धन मुसलमान लड़कियो के विवाह की व्यवस्था करता था।
- दासों की देखभाल के लिए अलग विभाग दीवाने बंदगान की स्थापना की।
- फिरोज स्वयं विद्वान था उसने अपनी आत्मकथा 'फ़ुतूहात-ए-फिरोजशाही' लिखी।
- ज्वालामुखी के मंदिर के पुस्तकालय से प्राप्त 1300 ग्रंथो मे से कुछ का फिरोज भाषा मे अनुवाद कराया। उनमे से एक का नाम दलायले - फिरोजशाही रखा जो की दर्शन व नक्षत्र विज्ञान से संबन्धित ग्रंथ था।
- 1361 मे नगरकोट पर आक्रमण कर ज्वालामुखी मंदिर की मूर्तियो को तोड़ डाला।
- फिरोज को मध्य कालीन भारत का पहला कल्याणकारी निरंकुश शासक कहा जाता है।
:- फिरोज़शाह तुगलक के उत्तराधिकारी -
- 1388 ई. फिरोज़शाह तुगलक की मृत्यु के बाद गयासुद्दीन तुगलक द्वितीय सुल्तान बना। अबू बक्र उसे गद्दी से हटाकर 1389 मे सुल्तान बन गया। इस समय दरबार षडयंत्रो का शिकार हो गया और क्रमश: मुहम्मदशाह, अलाउद्दीन सिकंदर शाह तथा नसीरुद्दीन महमूद गद्दी पर बैठे।
- नसीरुद्दीन , तुगलक वंश का अंतिम शासक था इसी के समय 1398 ई. मे मंगोल सेनानायक तैमूर ने भारत पर आक्रमण किया। 1412 मे नसीरुद्दीन महमूद की मृत्यु हो गई और तुगलक वंश का अन्त हो गया।
एक टिप्पणी भेजें
If you have any doubts, Please let me know