रक्त परिसंचरण तंत्र की खोज – विलियम हार्वे ने की।
रक्त वाहिका प्रणाली या रक्त परिसंचरण तंत्र का अध्ययन ‘एंजियोलौजी’ कहलाता है।
विलियम हार्वे को एंजियोलोजी का जनक माना जाता है। उन्होने हृदय को शरीर का पम्पिंग स्टेशन कहा।
रक्त परिसंचरण तंत्र मुख्य तीन अंग
1. हृदय
2. रक्त वाहिनियां
3. रक्त
यह लाल रंग का तिकोना, खोखला एवं मांसल अंग होता है, जो वक्षगुहा मे अधरतल की ओर अवस्थित होता है। हृदय एक पतली झिल्ली से घिरा होता है, जिसे हृदय आवरण कहते है।
हृदय की दीवार तीन विभिन्न स्तर – इंडोकार्डियम( Endocardium), मायोकार्डियम ( Myocardium) और इपिकार्डियम ( Epicardium ) की बनी होती है।
हृदय मे चार प्रकोष्ठ होते है। हृदय लम्बबत रूप से हृदय खांच द्वारा दो भागो मे बांटा जाता है। हृदय के दाहिने भाग मे दो कक्ष होते है जिसे बायाँ आलिन्द तथा बायाँ निलय कहते है।पुन: उसी प्रकार हृदय के बाए भाग मे दो कक्ष होते है। जिसे दाहिना आलिन्द तथा दाहिना निलय कहा जाता है।
➤ हृदय मे तीन प्रकार की पेशियाँ पायी जाती है :-
1. कंकाल पेशी
2. हृदय पेशी ( अनैच्छिक गति )
3. चिकनी पेशी ( अनैच्छिक गति )
➤ स्तंधारियों मे दोहरा रक्त परिसंचरण तंत्र पाया जाता है।
➤ मछलियों मे नलिकावत शिरा हृदय होता है। वहाँ सिर्फ शिराओ से निकला रक्त प्रवाह होता है।
➤ मछलियो मे एकल परिसंचरण तंत्र पाया जाता है।
ये लचीले पेशीय फाइबर की बनी होती है जो रक्त वहन करती है। धमनियां और शिराएँ मुख्य रक्त वाहिनिकाएँ होती है। धमनियाँ हृदय से शरीर के विभिन्न अंगो को रक्त वहन करती है जबकि शिराएँ हृदय मे शरीर के विभिन्न अंगो से रक्त ले जाती है।
वजन- महिला : 250 ग्राम
पुरुष : 300 ग्राम
कक्षो की संख्या :- मछलियों मे – 2
साँपो मे – 3 ( दो आलिन्द, एक निकाय )
घड़ियाल, पक्षी स्तनधारी – 4
हृदय के अध्ययन को कार्डियोलोजी ( Cardiology ) कहते है। पक्षियों व स्तनधारियों मे दोहरा एवं बंद परिसंचरण तंत्र होता है। तथा कीटों मे खुला परिसंचरण तंत्र होता है।
E.E.G.:- Electro Encephalo Graph [ Brain ]
E.C.G. :- Electro Cardio Graph [ Heart ]
E.O.G. :- Electro Oculo Graph [ Eye ]
प्रथम हृदय प्रत्यारोपन:-
विश्व मे 3 दिसम्बर 1967 डॉ. सी. बर्नार्ड ( अफ्रीका )
भारत मे 3 अगस्त 1994 AIIMS डॉ. वेणुगोपाल
➤ कृत्रिम हृदय रौबर्ट जार्बिक ने बनाया जिसका नाम Jarvik- 7 है तथा कृत्रिम किडनी डॉ. सुबोरोय ने बनाई ।
➤ हृदय मे कपाटो की संख्या 4 होती है।
संकुचन -( Systol ) : 0.3 सैकंड
अनुशिथिलन – (Diastole ) : 0.5 सैकंड
हृदय चक्र का काल : 0.8 सैकंड
हृदय धड़कन का तेज होना :– टेकीकार्डिया
हृदय का धीमा होना : ब्रेडीकार्डिया
निम्नतम ब्लू – व्हेल : 25/मिनट ( सबसे बड़ा स्तनधारी )
सर्वाधिक छछूंदर : 800/ मिनट ( सबसे छोटा स्तनधारी )
नवजात शिशु : 100/ मिनट
वयस्क की : 72/ मिनट
मापन : स्फीग्मोमैनो मीटर
120/80 mm Hg : मनुष्य कक समान्य रक्त दाब
B.P. : ज्यादा ( >140/90) = Hypertension
कम ( < 110/70) = Hypotension
सोते समय रुधिर दाब कम होता है।
हाइपोक्सिया : अंगो या उत्तकों मे O2 की कमी होना ।
हाइपरकेप्निया : अंगो, उत्तकों या रक्त मे O2 की अधिकता ।
हृदय को रक्त की आपूर्ति : कोरोनरी धमनी से
➤ एक धड़कन मे हृदय 70 ml पंप करता है ।
S.A.N.= A.V.N= Bundle of His= परकिन्जे तन्तु ( कार्डिक मसल्स – ये कभी नही थकती एवं सबसे व्यस्तम पेशी है।
S.A.N.= शिरा आलिंद घुंडी
A.V.N. आलिन्द निलय घुंडी
सूचना प्रवाह मे रुकावट : Cordiac Arrest
हृदय का बाहरी आवरण : पेरिकार्डियम
ये हृदय को यान्त्रिक आघातो से बचाता है।
इसके कार्य :-
– हृदय धड़कन का नियंत्रण करना
– स्थान : दाया आलिन्द
– इसे हृदय का हृदय भी कहते है।
➤ कपाटो के बंद होने से हृदय मे लब डब की आवाज आती है। द्विवालिये और त्रिवलिए कपाट से लब की आवाज आती है तथा अर्धचंद्राकार कपाट से डब की आवाज आती है।
प्राणियों मे कोशिका की संरचना उसके कार्य के अनुसार बदलती रहती है इस प्रकार के उत्तक भिन्न – भिन्न होते है –
1. उपकला उत्तक
2. संयोजी उत्तक
3. पेशी उत्तक
4. तंत्रिका तंत्र
इस उपकला उत्तक को सामान्य उपकला उत्तक भी कहते है। इस उत्तक मे एक मुक्त स्तर भी होता है जो एक ओर ओ देह तरल और दूसरी ओर बाह्य वातावरण के सम्पर्क मे रहता है। इस प्रकार यह उत्तक आवरण व आस्तर का निर्माण करता है।
➤ उपकला उत्तक दो प्रकार का होता है –
1 सरल उपकला , 2. सयुक्त उपकला
सरल उपकला :- एक ही स्तर का बना होता है यह देहगुहाओ, वाहिनियों और नलिका का आस्तर है।
सयुक्त उपकला :- यह दो या दो से अधिक स्तरो की बनी होती है इसका कार्य रक्षात्मक है जैसे – त्वचा ।
➤ संरचनात्मक रूपान्तरण के आधार पर सरल उपकला उत्तक तीन प्रकार के है –
1. श्ल्की उपकला
2. घनाकार उपकला
3. स्तम्भाकार उपकला
श्ल्की उपकला उत्तक रक्त वाहिनियों की भित्ति मे तथा फेफड़ो के वायु कोश मे पाया जाता है व घनाकार उपकला उत्तक एक स्तरीय घन कोशिकाओ से बना होता है। यह सामान्यत: वृवकों के वृवकको के नलिकाकार भाग मे पाया जाता है।
जटिल प्राणियों के शरीर मे संयोजी उत्तक बहुतायत एवं विस्तृत रूप से फैला हुआ पाया जाता है।
➤ संयोजी उत्तक का नाम शरीर के अन्य उत्तकों एवं अंग को एक-दूसरे से जोड़ने तथा आलंबन से आधार पर दिया गया है।
➤ संयोजी उत्तक मे कोमल उत्तक से लेकर विशेष प्रकार के उत्तक जैसे उपास्थि, अस्थि वसीय उत्तक तथा रक्त सम्मलित है। रक्त को छोडकर सभी संयोजी उत्तकों मे कोशिका संरचनात्मक प्रोटीन का तन्तु स्रावित करती है। जिसे कोलेजन या इलास्टिन कहते है ये उत्तक को शक्ति प्रत्यास्थता एवं लचिलापन प्रदान करते है ।
➤ संयोजी उत्तक तीन प्रकार के होते है –
1. लचीले संयोजी उत्तक
2. सघन संयोजी उत्तक
3. विशिष्टकृत संयोजी उत्तक
➤ उपास्थि, अस्थि एवं रंग विशेष प्रकार के संयोजी उत्तक है।
पेशी उत्तक अनेक लंबे बेलनाकार तंतुओ से बना होता है जो समानांतर पंक्ति मे सजे रहते है। यह तन्तु कई सूक्ष्म तंतुको से बना होता है जिसे पेशी तंतुक कहते है।
➤ पेशीय उत्तक तीन प्रकार के होते है –
1. कंकाल पेशी 2.चिकनी पेशी 3. हृदय पेशी
➤ कंकाल पेशी – यह कंकाल अस्थि से जुड़ी रहती है पेशी उत्तक के समूह के चारो ओर कठोर संयोजी उत्तक का आवरण होता है।
➤ चिकनी पेशी – रक्त नलिका, अग्न्याशय तथा आंत की भित्ति मे इस प्रकार का पेशी उत्तक पाया जाता है। चिकनी पेशी का संकुचन अनैच्छिक होता है।
➤हृदय पेशी – संकुचनशील उत्तक है जो केयवल हृदय मे ही पायी जाती है हृदय पेशी मे कोशिकाए संधियो द्वारा द्रव्य कला से एकरूप होकर चिपकी रहती है।
तंत्रिका उत्तक मुख्य रूप से परिवर्तित अवस्था के प्रति शरीर की अनुक्रियाशीलता के नियंत्रण के उत्तरदायी होता है तंत्रिका कोशिकाए उत्तेजनशील कोशिकाए है जो तंत्रिका तंत्र की संचार इकाई है। तंत्रिका कोशिका जब उत्तेजित होती है तब विभव परिवर्तन तंत्रिका कोशिका के अंतिम छोर पर पहुंचता है।
➤ स्टारफिश के परिसंचरण को क्या क़हा जाता है-हिमल तंत्र
➤ समान व्यस्क व्यक्ति के हृदय का वजन लगभग कितना होता है- 300 ग्राम
➤ हृदय वंचित है – एच्छिक पेशी से
➤ वयस्क व्यक्ति की हृदय की धड़कन दर क्या होती है-70-80 बार प्रति मिनट
➤ रुमैटिक हृदय रोग का इलाज किसकी मदद से किया जाता है – एस्परीन
➤ दिल की फुसफुसाहट ( मरमर ) से क्या पता चलता है- दोष पूर्ण कपाट ( वाल्व )
➤ कौन सी शिरा फेफड़ो मे हृदय मे शुद्ध रक्त लाती है- फुफ्फुस शिरा
➤ मानव हृदय मे कक्षो की संख्या है-चार
➤ मानव हृदय मे कितने वाल्व होते है – चार
➤ पहला सफल हृदय प्रत्यारोपण किया था – C.N. बर्नार्ड ने
➤ ई. सी. जी. किसकी गतिविधियो को दर्शाता है – हृदय
➤ हृदय और उसकी बीमारियो के अध्ययन से संबन्धित विज्ञान को क्या कहा जाता है- कार्डयोलोजी
➤ मानवो का एक मिनट मे लगभग कितनी बार हृदय स्पंदन होता है-72 बार
➤ दिल का दौरा किस कारण होता है- हृदय मे रक्त की आपूर्ति मे कमी
➤टिश्यू शब्द का प्रथम प्रयोग किस वैज्ञानिक द्वारा किया गया था ? – विकाट द्वारा
➤समस्त त्रिस्त्रीय जन्तुओ मे भ्रूणीय परिवर्धन मे बनने वाले तीन प्राकर्तिक स्तर कौन – कौन से है ? – प्रथम एक्सोडर्म , द्वितीय मीसोडर्म , तृतीय एंडोडर्म
➤ एपिथीलियम उत्तक किस प्रकार का कार्य करता है ? – शरीर की सुरक्षा कवच का
➤ मीसोडर्म स्तर से बनने वाले वयस्क के सारे उत्तक को किसने मीसे बक्राइमा कहा है ? – हर्टविंग
➤ संयोजी उत्तक सम्पूर्ण शरीर का कितने प्रतिशत भाग बनाते है? – 30%
➤स्थायी उत्तक कितने प्रकार के होते है ? – दो ( सरल और सयुक्त उत्तक )
➤ कोशिकाओ के एसे समूह, जिनकी उत्पत्ति, रचना व कार्य समान हो,उसे कहा जाता है? – उत्तक
➤उत्तक दो प्रकार के होते है – जन्तु उत्तक एवं पादप उत्तक
➤ एक कोशिक जीवो से सभी जैव प्रक्रियाए एक ही कोशिका के द्वारा की जाती है जबकि बहुकोशिकाओ का समूह भिन्न कार्य करते है, इस व्यवस्था को कहा जाता है? – श्रम विभाजन
➤ पादप उत्तक को दो भागो मे विभाजित किया जाता है?- विभाज्योतक तथा स्थायी उत्तक
➤ सरल उत्तक के कितने प्रकार होते है? – तीन
➤ अंतरंगों मे आवश्यक चिकनाहट व लोच प्रदान करने का कार्य कौन से उत्तक करते है? – संयोजी उत्तक
➤प्रमुख संयोजी उत्तक कौन – कौन से है? – रक्त,लिम्फ़, हड्डियाँ, प्रोटीन उत्तक
➤ समस्त कशेरुकी जन्तुओ मे एक वृद्ध अंतकंकालीय ढांचा होता है। जो एक विशेष प्रकार के संयंत्र संयोजी उत्तक का बना होता है उसे क्या कहते है ?- कंकालीय उत्तक
➤उपस्थितियों मे पाये जाने वाले विशेष प्रकार के अंतकोशिकीय आधार पदार्थ को कहते है? – कोंड्रिन
➤ रक्त किस प्रकार का उत्तक है?- संवहनीय उत्तक
➤ पेशीय उत्तक भ्रूण के किस प्राथमिक स्तर से बनते है? – औसतन 40 से 50%
➤ रेखित पेशी को कंकालीय पेशियाँ क्यो कहते है? –ये अपने दोनों सिरो पर हड्डियों से जुड़ी होती है
➤ हाथ-पैर की गति तथा शरीर गमन किन पेशियों के कारण होती है? – रेखीय पेशी
➤ किन पेशियों की संरचना सबसे सरल होती है? – अरेखित पेशी
➤ अरेखित पेशियों मे अकुंचनशीलता किसके कारण होती है? – मायोसिन छ्डो की परस्पर प्रतिक्रियाओ के कारण
➤ तंत्रकीय उत्तक की रचनात्म्क एवं क्रियात्म्क इसकाइयों को क्या कहते है? – न्यूरोन्स
➤ जन्तुओ के शरीर मे पाये जाने वाले उत्तकों को चार श्रेणियों मे बांटा गया है – उपकला-उत्तक,संयोजी उत्तक, पेशी उत्तक एवं तंत्रिका उत्तक
➤ जन्तुओ की बाहरी ,भितरी या स्वतंत्र सतहो पर पाये जाते है – उपकला उत्तक
➤ उपकला उत्तक पाये जाते है – त्वचा की बाह्य सतह,हृदय,फेफड़ा एवं वृक्क के चारो ओर तथा जनन ग्रंथियो की दीवार पर
➤ शरीर के आंतरिक भागो को सुरक्षा प्रदान करता है – उपकला उत्तक
➤शरीर के सभी अंगो एवं अन्य उत्तकों को आपस मे जोड़ने वाला उत्तक कहलाता है – संयोजी उत्तक
➤ संवहन मे सहायक है – रुधिर एवं लसिका जैसे तरल उत्तक
➤ जन्तुओ मे तंत्रिका तंत्र का निर्माण होता है – तंत्रिका उत्तक द्वारा
➤ तंत्रिका उत्तक दो विशिष्ट प्रकार की कोशिकाओ द्वारा निर्मित होते है – न्यरोंस एवं न्यूरोग्लिया द्वारा
➤ शरीर मे होने वाली सभी प्रकार की अनैच्छिक एवं एच्छिक क्रियाओ को नियंत्रित करती है – तंत्रिका उत्तक
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